माता धारी देवी की मूर्ति दिन में 3 बार बदलती है रूप, लोगों ने देखा है यह चमत्कार

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धारी देवी मंदिर श्री नगर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिनकी उत्तराखंड में एक अलग ही मान्यता है कहा जाता है कि यहां आ कर जो भी श्रद्वालु सचे मन से कुछ भी मांगता है माता धरी देवी उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है

आज से हजारों साल पहले मां भगवती धारी देवी का मंदिर कल्यासौड़ के धारी  गांव के पास में स्थित हुआ मान्यता यह भी है कि धारी गांव की वजहें से ही यहां का नाम धारी की देवी यानी धारी देवी पड़ा मान्यता है कि आज से कहीं साल पहले  माता भगवती का सर गंगा नदी में बहता हुआ आ रहा था उसी समय उस कटे हुए सर ने एक व्यक्ति को आवाज दी वह व्यक्ति उस सर को देखकर डर गया ।
परन्तु माता ने उस आदमी को आश्वासन दिया कि डरो मत मुझे बचाओ जैसे ही वह व्यक्ति गंगा नदी में आगे – आगे बढ़ता गया माता  ने उसके लिए सीढ़ियां बना दी और उस व्यक्ति को आश्वासन दिया कि मुझे यहां से उठा और कहीं अच्छी साफ सुत्री जगह पर रख दे।
यह सुनने के बाद उस व्यक्ति ने बिल्कुल ऐसा ही किया माता के कटे हुए सर को उस व्यक्ति ने एक साफ सुथरे पत्थर पर रख दिया और तभी से उसी स्थान पर माता भगवती धारी देवी का मन्दिर स्थापित हुआ और मां की पूजा होने लगी और माता धारी देवी के उस कते हुए सर ने पत्थर का रूप ले लिया और तबसे से वहां पर भक्तो का आना जाना और माता धरी देवी के उपर उनका अपार विश्वास बड़ता चला गया
यह भी मान्यता है कि वहां आकर जो भी सच्चे मन से जो कुछ भी माता से मांगता वो उसको अवश्य मिलता और लाखो माता के भक्त दूर दूर से माता के दर्शन के लिए वहां आते है
आज से साथ वर्ष पहले माता धारी देवी की वहे सीढ़ियां वहां पर दिखाई देती थी परन्तु जब धारी देवी मंदिर मा पुन्हे निर्माण हुआ तो माता के मंदिर के साथ साथ वह सीढ़ियां भी पानी में डूब गई  और माता के मंदिर को अब कहीं सौ फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है
मान्यता यह भी है कि शादी के बाद नए जोड़े सबसे पहले माता धारी देवी के दर्शन के लिए आते है और माता से अपने सुखद भविष्य की कामना करते है और अपने नए जीवन की सुरुवात करते है
मान्यता यह भी है कि माता धरी देवी पूरे दिनभर में तीन बार रूप बदलती है  जैसे शुभा के समय माता बाल अवस्था में दिखाई देती है और दिन में माता युवती अवस्था में दिखाई देती है और वहीं रात में माता  वृद्धा अवस्था में दिखाई देती है और माता का श्रृंगार भी तीनों रूपो के अनुसार ही अलग अलग होता है माता के मंदिर में शुभे शाम आरती होती है और नवरात्रि के मौके पर माता के मंदिर में भारी संख्या में लोगों का ताता लगा होता है।

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