उत्तराखंड में चल रहे पटवारी सिस्टम को सरकार जल्द ही बंद करवा सकती है बता दें कि अंकिता हत्याकांड के बाद राजस्व पुलिस पर सवाल उठने शुरू हो गए थे बता दे कि राजस्व पुलिस ने मामले में ढिलाई दिखाई थी जिसके कारण अंकिता की मौत हो गई
वही बता दें कि उत्तराखंड में राज्य से पुलिस की सेवा 1861 से चल रही है इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने अपना जवाब दाखिल करवाया है इससे पूर्व नैनीताल हाई कोर्ट में 2018 में एक याचिका दर्ज हुई थी जिसमें राजस्व पुलिस व्यवस्था को पूरी तरह से हटाने का प्रस्ताव रखा था।
हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश में सिविल पुलिस सेवा को लागू करने की अनुमति दी थी लेकिन राज्य सरकार फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट पहुंची सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में ना तो हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई ना ही सरकार को कोई नया दिशा निर्देश जारी किया
वही अब सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया है कि वह राजस्व पुलिस व्यवस्था को एक चरणबद्ध तरीके से शुरू करें वही परिणाम स्वरूप पटवारी सिस्टम को खत्म करने के लिए यह याचिका दर्ज की गई थी।
बता दें कि इस याचिका को एक पत्रकार ने दर्ज किया था जिसके बाद नैनीताल हाई कोर्ट ने इस सिस्टम को 6 महीने में खत्म करने का आदेश दिया था लेकिन उत्तराखंड सरकार 2019 में मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
बता दें कि उत्तराखंड के लगभग 60फीसदी के हिस्से में राजस्व पुलिस काम करती है ऐसे कुल 7500 गांव है जो राजस्व पुलिस संभालती है वही अब इनमें से 1500 गांव को सिविल पुलिस के दायरे में लाना प्रदेश की सरकार के लिए पहला चरण होगा वही आने वाले चरणों में भी जल्द ही राज्य से पुलिस की जगह पर सिविल पुलिस तैनात की जाएंगी इस प्रकार कुल 2 से 3 सालों में प्रदेश को राज्य से पुलिस से मुक्त कर दिया जाएगा।